"हिंसक फिल्मो की जरूरत है ? "

फिल्मजगत  मे बहुत सारी फिल्मे बनती है कुछ फिल्मे हसाती है कुच रुलाती है ,  तो कुछ फिल्मे समाज को अच्छा संदेश देती है । इस तरह की फिल्मे हमे जिन्दा रहने  का एहसास देती है । धीरे-धीरे फिल्मो मे बदलाव आया मारधाड वाली फिल्मे बननी लगी जिसमे ऐक्शन जरुरी होता था कहानी के हिसाब से । मगर साल 2023के बाद फिल्मो मे हिंसा बहुत ही बढ गयी है ।दिसंबर  2023 मे आयी फिल्म एनिमल बहुत ज्यादा खून्खराबा से भरी थी विवादो के बाद भी यह  फिल्म सफल रही । इस फिल्म की सफलता के कारन बाकी निर्देशको को लगने लगा की इस तरह की फिल्मे बनानी चाहिये । एनिमल के बाद बहुत फिल्मे बनी पर कुच प्रमूक फिल्मे जैसे ,  किल , युध्रा  , फतेह ,मार्को। ऐसी बहुत फिल्मे और बनाई जा रही है ।




*हिंसा वाली मूवीज़ क्यों बनाई जा रही हैं?

हिंसा वाली मूवीज़ के निर्माण के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ संभावित कारण हैं:

1. *बॉक्स ऑफिस पर सफलता*: हिंसा वाली मूवीज़ अक्सर बॉक्स ऑफिस पर सफल होती हैं। दर्शकों को हिंसा और एक्शन से भरपूर मूवीज़ आकर्षित करती हैं।
2. *निर्देशकों की रचनात्मकता*: कुछ निर्देशक हिंसा वाली मूवीज़ बनाने के लिए प्रेरित होते हैं क्योंकि वे अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करना चाहते हैं।
3. *समाजिक और राजनीतिक टिप्पणी*: कुछ हिंसा वाली मूवीज़ समाजिक और राजनीतिक टिप्पणी करने के लिए बनाई जाती हैं। ये मूवीज़ समाज में व्याप्त हिंसा और अन्याय के मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं।

हिंसा वाली मूवीज़ के प्रभाव

हिंसा वाली मूवीज़ के प्रभाव विवादास्पद हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ये मूवीज़ हिंसा को बढ़ावा देती हैं और समाज में नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। दूसरों का मानना है कि ये मूवीज़ मनोरंजन का एक तरीका है और उनका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है।



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